घने जंगल में, एक बहुत भूखा शेर रहता था. वह कई दिनों से शिकार नहीं कर पाया था और उसकी भूख इतनी बढ़ गई थी कि वह बेचैन हो उठा | जंगल के सभी जानवर उससे डरते थे और जैसे ही उसे देखते, छिप जाते |
शेर ने सोचा, “अगर मुझे जल्दी ही भोजन नहीं मिला, तो मैं मर जाऊँगा |” वह जंगल में घूमता रहा, लेकिन कोई जानवर उसके सामने नहीं आया. अचानक, उसे एक खरगोश अपनी मांद से बाहर निकलता दिखा. खरगोश बहुत छोटा था, लेकिन शेर की भूख इतनी तेज़ थी कि उसने सोचा, “यही सही, आज इसी से काम चला लूँगा |”
शेर ने ज़ोर से दहाड़ा और खरगोश की तरफ लपका. खरगोश बहुत चालाक था. उसने शेर को अपनी ओर आते देखा और तुरंत समझ गया कि उसकी जान खतरे में है. उसने एक तरकीब सोची.
जैसे ही शेर उसके पास पहुँचा, खरगोश ने काँपते हुए कहा, “महाराज, मुझे माफ़ करें! मैं आपसे मिलने आ रहा था, लेकिन रास्ते में मुझे एक और शेर मिला. वह बहुत बड़ा और भयानक था. उसने कहा कि वह इस जंगल का राजा है और आपको चुनौती दे रहा है.”
शेर सुनकर आग बबूला हो गया. “क्या! इस जंगल का राजा तो मैं हूँ! कहाँ है वह दूसरा शेर? मुझे अभी उससे मिलना है!”
खरगोश ने कहा, “वह पास ही एक कुएँ में छिपा है, महाराज. वह बहुत घमंडी है और कह रहा था कि आप उससे डरकर छिप जाएंगे.”
शेर को गुस्सा और बढ़ गया. उसने खरगोश से कहा, “मुझे उस कुएँ तक ले चलो! मैं अभी उसे सबक सिखाता हूँ!”
खरगोश शेर को एक गहरे कुएँ के पास ले गया. उसने कुएँ के अंदर झाँकने का नाटक किया और बोला, “देखें महाराज, वह रहा अंदर! आप उसकी परछाईं देख सकते हैं.”
शेर ने कुएँ के अंदर झाँका. पानी में उसे अपनी ही परछाईं दिखाई दी. गुस्से में उसने सोचा कि यही वह दूसरा शेर है जो उसे चुनौती दे रहा है. बिना कुछ सोचे-समझे, शेर ने ज़ोर से दहाड़ते हुए कुएँ में छलांग लगा दी, ताकि उस दूसरे शेर से लड़ सके.
शेर कुएँ के गहरे पानी में गिर गया और अपनी ही गलती से डूब गया. इस तरह, चालाक खरगोश ने अपनी जान बचाई और जंगल के बाकी जानवरों को भी उस भूखे और क्रूर शेर से छुटकारा मिल गया.
कहानी से सीख: समझदारी और बुद्धिमत्ता हमेशा बल से ज़्यादा शक्तिशाली होती है.